September 30, 2025

एटा में मिले लौह युग के 3000 साल पुराने अवशेष, अतरंजीखेड़ा बना ऐतिहासिक धरोहर

 उत्तर प्रदेश के एटा जिले में हुई एक ऐतिहासिक खोज ने भारतीय पुरातत्व को नई दिशा दी है। जिले के अतरंजीखेड़ा गांव में लौह युग (1200-650 ईसा पूर्व) के सबसे पुराने औजार, हथियार और भट्टियों के अवशेष मिले हैं। यह खोज भारत में लौह युग के इतिहास को पुनर्परिभाषित करने वाली साबित हो सकती है।

लोहे ने बदली मानव सभ्यता की दिशा

मानव सभ्यता के विकास में लौह युग एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। पाषाण और कांस्य युग के बाद आए इस दौर ने तकनीक, कृषि और हथियार निर्माण में क्रांतिकारी बदलाव लाए। लोहे के मजबूत और टिकाऊ उपकरणों ने कृषि उत्पादन बढ़ाया, व्यापार को गति दी और साम्राज्यों के विस्तार में मदद की।

अतरंजीखेड़ा: लौह युग का जीवंत प्रमाण

अतरंजीखेड़ा में मिले अवशेष साबित करते हैं कि उत्तर वैदिक काल (1000-650 ईसा पूर्व) में इस क्षेत्र में लोहे का व्यापक उपयोग होता था। यहाँ मिली भट्टियाँ और निर्माण सामग्री बताती हैं कि यह क्षेत्र लौह उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र रहा होगा।

खोज का ऐतिहासिक महत्व

यह खोज न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत के लिए महत्वपूर्ण है:

  • भारत में लौह युग के इतिहास पर नई रोशनी

  • वैदिक काल की technogical उन्नति का प्रमाण

  • पुरातत्व शोध को नई दिशा

  • एटा को ऐतिहासिक पर्यटन के मानचित्र पर लाना

इस खोज के बाद अतरंजीखेड़ा अब इतिहास प्रेमियों, पुरातत्वविदों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया है।

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