September 30, 2025

नेपाल में नई सुबह: सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं, भारत-नेपाल रिश्तों में मधुर संभावनाएं

 नेपाल की राजनीति में ऐतिहासिक परिवर्तन हुआ है। लंबे समय तक चले जनआंदोलन और युवाओं के दबाव के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपना पद छोड़ना पड़ा। अब देश की कमान वरिष्ठ न्यायविद और पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के हाथों में सौंपी जा रही है, जो अगले चुनाव तक अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालेंगी।

73 वर्षीया कार्की नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय की प्रथम महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। उनका भारत के साथ गहरा शैक्षणिक और व्यक्तिगत संबंध रहा है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त कर चुकीं कार्की के अनुभव और हालिया बयान भारत-नेपाल संबंधों के प्रति सकारात्मक रुख की ओर संकेत करते हैं।

भारत से शैक्षणिक और सांस्कृतिक जुड़ाव

सुशीला कार्की ने 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में इतिहास रचा था। भ्रष्टाचार विरोधी कड़े फैसलों और न्यायिक सुधारों के लिए विख्यात कार्की विशेष रूप से युवा पीढ़ी में अत्यधिक लोकप्रिय हैं। भारत के प्रति उनका विशेष लगाव है और बीएचयू में बिताए गए समय को वह आज भी सकारात्मक रूप से याद करती हैं।

द्विपक्षीय संबंधों में नया अध्याय

केपी शर्मा ओली के कार्यकाल में भारत-विरोधी नीतियों और चीन-समर्थक रुख के कारण दोनों पड़ोसी देशों के संबंधों में तनाव की स्थिति बनी रही। कार्की के नेतृत्व में इन संबंधों में सुधार की प्रबल संभावना है। हाल के एक साक्षात्कार में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए भारत के साथ संवाद और सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई थी।

सीमा सुरक्षा और रणनीतिक महत्व

नेपाल और भारत के बीच 1,750 किलोमीटर लंबी साझा सीमा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम राज्यों से लगती है। भारत में लगभग 35 लाख नेपाली नागरिक रोजगार के सिलसिले में निवास करते हैं, जबकि 32,000 गोरखा सैनिक भारतीय सेना की विभिन्न रेजीमेंटों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस कारण नेपाल में राजनीतिक परिवर्तन का सीधा प्रभाव भारत की सुरक्षा और विदेश नीति पर पड़ता है।

ओली ने अपना पद छोड़ने के बाद भी विवादित बयान जारी रखे हैं और लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा जैसे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों पर अपने दावों को दोहराया है। उनका दावा है कि भारत-विरोधी नीतियों और धार्मिक रुझानों के कारण ही उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.