क्वेटा में ट्रेन विस्फोट: BRGS ने ली जिम्मेदारी, जाफर एक्सप्रेस के पांच डिब्बे पटरी से उतरे

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के मौके पर न्यूयॉर्क में जहां भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ मिलकर बहुपक्षवाद को मजबूत करने और आतंकवाद जैसी साझा चुनौतियों का समाधान खोजने पर जोर दे रहे थे, वहीं हजारों मील दूर पाकिस्तान के बलोचिस्तान में एक सैन्य लक्षित ट्रेन हमले ने अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरे की एक और तस्वीर पेश की।
वैश्विक दक्षिण की बैठक में सुरक्षा और सहयोग पर चर्चा
डॉ. जयशंकर ने मंगलवार को समान विचारधारा वाले वैश्विक दक्षिण देशों की एक उच्चस्तरीय बैठक की मेजबानी की। बैठक में उन्होंने जोर देकर कहा कि बढ़ती वैश्विक चुनौतियों और जोखिमों के बीच, बहुपक्षवाद के माध्यम से समाधान खोजना आवश्यक है। उन्होंने वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच संपर्क, सहयोग और क्षमताओं के आदान-प्रदान को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
हालांकि, इस बैठक में सीधे तौर पर पाकिस्तान में हुए हमले पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन आतंकवाद एक ऐसा वैश्विक मुद्दा है जिस पर भारत लगातार बहुपक्षीय मंचों पर चर्चा करता रहा है। भारत का मानना है कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
क्वेटा के पास ट्रेन विस्फोट: BRGS ने ली जिम्मेदारी
इसी बीच, पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा के पास मस्तुंग जिले में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को निशाना बनाकर एक शक्तिशाली विस्फोट किया गया। बलोच रिपब्लिकन गार्ड्स (BRGS) ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया कि उन्होंने पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाया था। विस्फोट इतना तेज था कि ट्रेन के पांच डिब्बे पटरी से उतर गए। स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, इस घटना में एक दर्जन से अधिक यात्री घायल हुए हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
एक दूसरे के समानांतर चल रही दो दुनियाएं
ये दोनों घटनाएं एक-दूसरे के समानांतर चल रही दुनिया की तस्वीर पेश करती हैं। एक ओर, भारत जैसा देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग, विकास और शांतिपूर्ण समाधान की वकालत कर रहा है, वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान जैसे देश में आंतरिक सुरक्षा चुनौतियां और आतंकवादी हमले जारी हैं। यह अंतर उन चुनौतियों को रेखांकित करता है, जिनका सामना वैश्विक दक्षिण के कई देशों को अलग-अलग तीव्रता से करना पड़ रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि जयशंकर द्वारा वैश्विक दक्षिण की साझा चिंताओं पर की गई चर्चा, क्वेटा जैसी घटनाओं के संदर्भ में और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है, जो दर्शाती है कि कैसे अस्थिरता और संघर्ष विकास के रास्ते में बाधा डालते हैं।