साइबर ठगों के ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जाल में फंसे बुजुर्ग, 1.70 करोड़ की ठगी; पुलिस ने खाते फ्रीज किए

साइबर ठगों ने एक बुजुर्ग पूर्व सरकारी अधिकारी को ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर उससे 1.70 करोड़ रुपये ठग लिए। ठगों ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के एक फर्जी मामले में फंसाकर सीबीआई की जांच का नाटक किया और लगातार सात दिनों तक उन्हें डराए-धमकाए रखा।
पीड़ित सेक्टर-62 निवासी 76 वर्षीय ओमप्रकाश श्रीवास्तव हैं, जो वाणिज्य मंत्रालय में उप निदेशक के पद से रिटायर हुए हैं।
ऐसे बुना गया जाल:
श्रीवास्तव को 9 सितंबर को एक फोन आया। कॉलर ने खुद को एक टेलीकॉम कंपनी का अधिकारी बताया और दावा किया कि उनकी आईडी से जारी एक नंबर से मुंबई में अश्लील कॉल्स की जा रही हैं। इसके तुरंत बाद कॉल को मुंबई के एक फर्जी थाने में ट्रांसफर कर दिया गया, जहाँ ‘पुलिस’ ने उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया।
कॉल को आगे ‘सीबीआई’ के पास ट्रांसफर किया गया, जहाँ खुद को ‘अधिकारी विजय खन्ना’ बताने वाले एक शख्स ने श्रीवास्तव को डराया कि उनके नाम से मुंबई में एक खाता खोलकर उसका गैर-कानूनी लेन-देन में इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने श्रीवास्तव को हथकड़ी लगाकर ले जाने और ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखने की धमकी दी।
फर्जी कोर्ट में पेशी और पैसा ट्रांसफर:
ठगों ने एक फर्जी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का मंचन भी किया, जहाँ एक व्यक्ति ने जज का रूप धरकर श्रीवास्तव को हिरासत में लेने के ‘आदेश’ सुनाए। इसके बाद ठगों ने उनके बैंक खातों की जानकारी हासिल कर ली और ‘जांच’ के नाम पर आरटीजीएस के through दो बार में कुल 1.70 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा लिए। ठगों ने उन्हें भरोसा दिलाया कि जांच पूरी होने के 48 से 72 घंटे बाद पैसा वापस मिल जाएगा।
बेटे ने पिता को ठगों के चंगुल से छुड़ाया:
सात दिन बाद जब ठगों ने 20 लाख रुपये की अतिरिक्त मांग की, तो श्रीवास्तव को शक हुआ। उन्होंने चुपके से अपने बेटे को पूरी स्थिति से अवगत कराया। उनके बेटे ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए उन्हें ठगों के चंगुल से छुड़ाया और नोएडा साइबर क्राइम पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया।
पुलिस जांच शुरू:
पुलिस की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि ठगे गए 1.70 करोड़ रुपये में से 1.30 करोड़ रुपये बैंगलोरू स्थित ‘एसपीएसजी ग्लोबल कम्पैशन एंटरप्राइजेज’ और गुजरात के जूनागढ़ की एक बैंक शाखा में भेजे गए हैं। पुलिस ने इन खातों को फ्रीज करने की कार्रवाई कर दी है और आईपी एड्रेस तथा अन्य डिजिटल सबूतों के जरिए ठगों की पहचान और गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए हैं।
यह घटना साइबर ठगी के बढ़ते और परिष्कृत होते खतरे को उजागर करती है। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि ऐसे किसी भी संदिग्ध फोन कॉल पर विश्वास न करें और तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें।