September 30, 2025

“साबित करो तो राजनीति छोड़ दूंगी!” – लालू की बेटी रोहिणी ने किडनी दान के आरोपों पर दी खुली चुनौती

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणनीति पर जब राजद (RJD) की नजर होनी चाहिए, तब पार्टी एक बार फिर आंतरिक कलह में उलझी नजर आ रही है। पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर तूफान खड़ा करते हुए उन आरोपों के खिलाफ सख्त चुनौती दी है, जिनमें दावा किया जा रहा था कि उन्होंने अपने पिता को किडनी दान देने के बदले कुछ मांगा था।

रोहिणी का ऐलान: “झूठ साबित हुआ तो छोड़ दूंगी राजनीति”

माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर एक जोरदार पोस्ट में रोहिणी आचार्य ने कहा, “मेरी खुली चुनौती है उन सभी को जो गंदी सोच रखते हैं। अगर कोई साबित कर दे कि मैंने कभी कुछ मांगकर अपने पिता को किडनी दी, तो मैं राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन से खुद को अलग कर लूंगी।” उन्होंने आगे कहा कि अगर आरोप लगाने वाले झूठ साबित नहीं कर पाए, तो उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।

विवाद की शुरुआत: बस की एक सीट से शुरू हुआ तूफान

यह विवाद तब भड़का जब रोहिणी ने पार्टी के राज्यसभा सांसद और तेजस्वी यादव के करीबी सहयोगी संजय यादव की एक तस्वीर शेयर की। तस्वीर में संजय यादव उस बस में ‘आगे की सीट’ पर बैठे थे, जहां तेजस्वी यादव अपनी ‘बिहार अधिकार यात्रा’ कर रहे थे। रोहिणी ने इस पर सवाल उठाते हुए इसे पार्टी शिष्टाचार का उल्लंघन बताया। उन्होंने लिखा कि यह सीट पार्टी के सर्वोच्च नेता के लिए आरक्षित होती है। इस पोस्ट के बाद पार्टी के भीतर संजय यादव के विरोधी गुट सक्रिय हो गए और मामला गर्मा गया।

तेज प्रताप ने बहन को दिया समर्थन, संजय यादव को कहा ‘जयचंद’

इस मामले में लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने बहन रोहिणी का खुलकर साथ दिया है। तेज प्रताप ने बिना नाम लिए संजय यादव पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘जयचंद’ करार दिया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि कुछ लोग परिवार में मतभेदों का फायदा उठाकर तेजस्वी यादव की कुर्सी हथियाना चाहते हैं।

2025 चुनाव से पहले RJD के लिए बड़ा संकट

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह सार्वजनिक विवाद RJD के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आंतरिक कलह पार्टी की एकजुटता के संदेश को कमजोर कर सकती है और चुनावी रणनीति पर बुरा असर डाल सकती है। पार्टी के सामने अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि कैसे वह इस सार्वजनिक टकराव को शांत करके अपना ध्यान चुनावी मुद्दों पर केंद्रित कर पाएगी।

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