September 30, 2025

बिहार चुनाव 2025: ‘माँ का अपमान’ से शुरू हुई सियासी जंग, अब महिला वोटरों के लिए होड़

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का सियासी मैदान गर्म हो गया है। चुनावी रणनीतियाँ एक नाटकीय मोड़ पर पहुँची हैं, जहाँ एक तरफ ‘माँ के अपमान’ का भावनात्मक मुद्दा है, तो दूसरी तरफ महिला मतदाताओं को लुभाने की ठोस योजनाओं की होड़ लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के एक रैली कार्यक्रम में हुई अपनी माँ के अपमान की घटना को चुनावी मोर्चे पर उठाकर एक बार फिर विपक्ष को पिछले पाँव लड़ने पर मजबूर कर दिया है। जवाब में, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने महिला सशक्तिकरण के अपने नए एजेंडे से पलटवार किया है।

विपक्षी हमलों को कैसे बदलते हैं चुनावी हथियार?

प्रधानमंत्री मोदी के लिए विपक्ष के व्यक्तिगत हमले नए नहीं हैं, बल्कि एक पैटर्न बन गए हैं। 2007 में ‘मौत का सौदागर’ से लेकर 2019 के ‘चौकीदार चोर है’ तक, हर बार इन हमलों ने मोदी की सियासी रणनीति को मजबूत ही किया है। बिहार में इस बार माँ के सम्मान पर कथित हमले ने उन्हें एक ऐसा मुद्दा दिया है जो सीधे तौर पर सांस्कृतिक मूल्यों और जनभावनाओं से जुड़ता है। इसने विपक्ष को शुरुआती चुनावी दौर में ही एक रक्षात्मक स्थिति में ला खड़ा किया है।

‘MAA’ योजना के साथ तेजस्वी यादव का पलटवार

विपक्षी गठबंधन ने इस चुनौती का सामना करने के लिए रणनीति बदल ली है। तेजस्वी यादव ने ‘माँ के अपमान’ के मुद्दे से ध्यान हटाकर सीधे महिला मतदाताओं की सामाजिक-आर्थिक चिंताओं को केंद्र में रखा है। उनकी ‘मां-बहन सम्मान योजना’ (MAA योजना) – जहाँ M से मकान, A से अनाज और A से आमदनी – का वादा है, वहीं “समृद्ध महिला, सशक्त महिला, सुरक्षित महिला” का नारा दिया है। यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि विपक्ष महिला वोटों पर सीधी contest करने का इरादा रखता है।

महिला वोटर्स: चुनावी जीत की कुंजी

इस चुनाव में सभी दलों की नजर अब सीधे तौर पर महिला मतदाताओं पर टिकी है, और यही इस चुनाव का केंद्रीय विषय बन गया है।

  • इंडिया गठबंधन ने तेजस्वी यादव के MAA फॉर्मूले और प्रियंका गांधी वाड्रा की महिला संवाद यात्रा के साथ पहल की है।

  • एनडीए सरकार ने तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए 75 लाख महिलाओं के खातों में दिवाली से पहले 10-10 हजार रुपये (कुल लगभग 7,500 करोड़ रुपये) ट्रांसफर की घोषणा की है।

  • नीतीश कुमार का पिछले डेढ़ दशक का महिला सशक्तिकरण का रिकॉर्ड (50% आरक्षण, 35% नौकरी आरक्षण, साइकिल योजना आदि) एनडीए के पास एक बड़ा हथियार है।

निष्कर्ष: किसकी चलेगी जादुई छड़ी?

साफ है कि बिहार चुनाव 2025 में महिला मतदाता ही तय करेंगी कि जीत किसकी होती है। ‘माँ के अपमान’ का भावनात्मक मुद्दा हो या ‘रोजगार और सशक्तिकरण’ का ठोस वादा, दोनों गठबंधनों ने अपने-अपने तरीके से महिलाओं का समर्थन हासिल करने की जंग छेड़ दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की महिलाएं भावनाओं के नारे को तरजीह देती हैं या फिर रोजमर्रा की जिंदगी बेहतर बनाने वाले वादों को।

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