विदेशी मेहमानों ने चौरोली गाँव में खोजा ‘रियल इंडिया’, भजन-कीर्तन में झूमे और बुग्गी की सवारी का लिया आनंद

भारतीय ग्रामीण संस्कृति की असली झलक देखने की चाहत लिए ब्राज़ील के चार विदेशी मेहमान सोमवार को नोएडा के चौरोली गाँव पहुँचे। यहाँ के रहन-सहन से लेकर भजन-कीर्तन तक में शामिल होकर उन्होंने एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त किया।
मुख्य बिंदु:
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ब्राज़ील से एक पुरुष और तीन महिलाएँ टूरिज़्म से जुड़े काम से भारत आई थीं।
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एयरपोर्ट पर मुलाकात के दौरान ग्रामीण जीवन देखने की इच्छा जताई।
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स्थानीय युवक ने उन्हें चौरोली गाँव घुमाने ले गया।
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ग्रामीणों ने पारंपरिक तिलक और पटका (दुपट्टा) पहनाकर स्वागत किया।
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मेहमानों ने नवरात्रि के भजन-कीर्तन में हिस्सा लेकर झूम-झूम कर नृत्य किया।
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पारंपरिक भैंसा-बुग्गी (बैलगाड़ी) में बैठकर किया पूरे गाँव का भ्रमण।
ग्रामीण जीवन से गहरा लगाव:
दरअसल, ब्राज़ील से आए ये मेहमान (आर्यानी, वनेसा विग्गर और डेनियल) नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर टूर एंड ट्रैवल्स के सिलसिले में आए थे। यहाँ उनकी मुलाकात क्षेत्र के कुछ लोगों से हुई, जहाँ बातचीत के दौरान उन्होंने भारतीय ग्रामीण जीवन को करीब से देखने की इच्छा जताई। इसके बाद एक स्थानीय युवक ने उन्हें चौरोली गाँव ले आया।
पारंपरिक अंदाज़ में स्वागत:
गाँव पहुँचने पर मेहमानों का ज़ोरदार स्वागत हुआ। ग्रामीण महिलाओं ने उन्हें तिलक लगाकर और राधा-कृष्ण की पटका पहनाकर सम्मानित किया। विदेशी मेहमानों ने भी भारतीय परंपरा का सम्मान करते हुए हाथ जोड़कर ‘नमस्ते’ कहा और ग्रामीणों के दैनिक जीवन के बारे में जानकारी हासिल की।
भजन-कीर्तन में डूबा माहौल:
इस दौरान गाँव में नवरात्रि के मौके पर चल रहे एक भजन-कीर्तन कार्यक्रम ने मेहमानों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने न सिर्फ़ भजनों को गहराई से सुना, बल्कि उनकी ताल पर थिरकते हुए खुद भी पूरे जोश के साथ नृत्य किया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो उठा।
बुग्गी की सवारी और प्रशंसा:
मेहमानों को गाँव की संस्कृति से रूबरू कराने के लिए उन्हें पारंपरिक भैंसा-बुग्गी में बैठाकर पूरे गाँव का भ्रमण कराया गया। ग्रामीणों के मुताबिक, विदेशी मेहमान भारतीय संस्कृति और जीवनशैली से काफी प्रभावित नज़र आए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए सनातन परंपरा को दुनिया के लिए एक उदाहरण बताया।
गाँव में छाया उत्साह:
विदेशी मेहमानों के आगमन से पूरे गाँव में खासा उत्साह देखने को मिला। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएँ सभी इस अनोखे अनुभव से काफी खुश नज़र आए। यह घटना ग्रामीण भारत की सहज मेहमाननवाज़ी और सांस्कृतिक समृद्धि का एक जीवंत उदाहरण बन गई।