क्यों बढ़ रही है दुल्हन की जासूसी? भारत में शादी से पहले जासूसी का नया ट्रेंड

भारत में शादी से पहले जासूसी का चलन तेजी से बढ़ रहा है। परिवार अपने होने वाले दूल्हा या दुल्हन के अतीत, व्यवहार और आर्थिक स्थिति की जांच करने के लिए निजी जासूसों से उनकी जासूसी करवा रहे हैं। यह ट्रेंड भरोसे की कमी और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसके कानूनी और नैतिक पहलुओं पर भी सवाल उठ रहे हैं।
जासूसों की नई दुनिया
पहले यह काम रिश्तेदार या पड़ोसी किया करते थे, लेकिन अब हाई-टेक निजी जासूसों के जरिए निगरानी की जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई परिवारों ने भावी बहुओं या दूल्हों के सोशल मीडिया, फोन कॉल्स और वित्तीय रिकॉर्ड्स की जांच करवाई है। जयपुर में एक उदाहरण में, जासूस ने दो हफ्ते तक नकली आभूषण की दुकान में हेल्पर का काम करते हुए दुल्हन की गतिविधियों पर नजर रखी।
क्यों बढ़ रहा यह ट्रेंड?
सबसे बड़ी वजह है भरोसे की कमी। आधुनिक रिश्तों में सोशल मीडिया पर लोग अक्सर अपनी एक नकली दुनिया दिखाते हैं। परिवार जानना चाहते हैं कि उनका होने वाला दामाद या बहू अपनी योग्यता, सैलरी या अतीत के बारे में सच बोल रहा है या नहीं। डिटेक्टिव एजेंसी संचालक तान्या पुरी के अनुसार, “पहले ज्यादातर दूल्हों की जांच होती थी, अब दुल्हनें भी उतनी ही जांच के दायरे में हैं। कई दुल्हनों ने कर्ज, नशे या गलत क्वालीफिकेशन छिपाया हुआ पाया गया।”
कानूनी और नैतिक सवाल
हालांकि, यह पूरी प्रक्रिया निजता के अधिकार और कानूनी दायरे को छूती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर रिश्ते में जासूसी की जरूरत पड़ रही है, तो यह रिश्ते के टूटने का संकेत हो सकता है। दिल्ली के वरिष्ठ वकील अक्षय आनंद कहते हैं, “बिना अनुमति किसी की निजी जिंदगी में घुसपैठ करना निजता का उल्लंघन है, लेकिन शादी जैसे बड़े फैसले में परिवार इसे आवश्यक कदम मानते हैं।”
रिश्तों पर असर
अब सवाल यह उठता है कि क्या शादी से पहले जासूसी रिश्तों में भरोसा बढ़ा रही है या कमजोर कर रही है? क्या परफेक्ट पार्टनर खोजने के लिए अपनी निजता का बलिदान देना सही है, या यह चलन हमारी सामाजिक संरचना को बदल देगा? यह सवाल भारतीय परिवारों और समाज के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।